आधुनिक युग में ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं
धनकुमार महिलांग, बी. यू. कन्नपनार, कल्याण कुमार सह
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान, रामचंद्र चंद्रवंषी विष्वविद्यालय विश्रामपुर पलामू, झारखण्ड़।
*Corresponding Author E-mail: dhanbsp@gmail.com
ABSTRACT:
आज के मौजूदा युग में पुस्तकालय के लिए ई-पुस्तकालय, डिजिटल पुस्तकालय, कागज विहीन पुस्तकालय, वर्चुअल पुस्तकालय, स्वचालित पुस्तकालय इत्यादि शब्द प्रयोग में लाये जा रहे है। जिसका सबसे प्रमुख कारण ई-सूचना स्त्रोतों का चलन है। ई-सूचना स्त्रोतों के बढ़ते उपयोग के पीछे के कारणों की बात करें तो 60ः व्यक्तियों या पाठकों का यह मानना है कि वर्तमान समय में नई-नई “आधुनिक तकनीकी के प्रचलन“ ही बढ़ते उपयोग के पीछे का प्रमुख कारण मानते है। प्रस्तुत लेख आधुनिक युग में ई-सूचना स्त्रोतों के बढ़ते उपयोग एवं सेवाओं पर आधारित है।
KEYWORDS: ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं, प्रकार, आधुनिक युग के माँग, ई-पुस्तकालय, सूचना संचार प्रौद्योगिकी और पुस्तकालय स्वचालन।
प्रस्तावना: -
आज हम ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाओं के युग में जी रहे है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पुस्तकालयों में ई-सूचना स्त्रोतों के विभिन्न स्वरूपों को ई-फॉर्मेट में रखा जा रहा है। जिससे की किसी भी क्षेत्र का पाठक बिना किसी अवरोध के ई-सूचना स्त्रोतो एवं सेवाओं को पुनः प्राप्त कर सके। आज के वर्तमान समय में प्रत्येक शहर, गाँव, पंचायत, ब्लॉक में प्रत्येक व्यक्ति के पास मोबाईल, टेबलेट, लैपटॉप, कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट की पर्याप्त सुविधा है। पुस्तकालय में यदि ई-सूचना स्त्रोत उपलब्ध है, चाहे वह विद्यालय पुस्तकालय हो महाविद्यालय पुस्तकालय हो या फिर विष्वविद्यालय पुस्तकालय हो उस पुस्तकालय की माँग बढ़ती ही जा रही हैं। साथ ही अल्प समय में पाठकों को पुस्तकालय वांछित सूचनाएं त्वरित सूचनाएं प्रदान कर पायेंगे।
ई-सूचना स्त्रोत:- आज के दौर में ई-सूचना स्त्रोत और ई-पुस्तकालय, पुस्तकालय छात्रों, पाठको, षिक्षकों, शोधार्थी, इत्यादि के लिए एक वरदान साबित हो रहे है। ई-सूचना स्त्रोतों की उत्पत्ति एवं विकास ने मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को बदल कर रख दिया है, जिसमें पुस्तकालय के क्षेत्र में पुस्तकालय स्वचालन के कार्यो, सेवाओं, प्रकार एवं उपयोगिता में विष्वसनीयता को अधिक प्रभावित किया है।
ई-सूचना स्त्रोत, सूचना की मूल्यवान एवं बहुमूल्य संसाधन है। इसी प्रकार से उच्च षिक्षा के षैक्षणिक संस्थान विष्वविद्यालय पुस्तकालय ई-सूचना स्त्रोतों की उपलब्धता एवं पुनः प्राप्ति हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सेवाएं:- पुस्तकालय अपने पाठकों को ई-सूचना स्त्रोत प्रदान करने के साथ ही उन्हे ई-सेवाएं भी प्रदान करते है, जो इस प्रकार निम्न है।
1. सामयिक अभिज्ञता सेवा।
2. चयनात्मक सूचना प्रसार सेवा।
3. साहित्य खोज एवं प्रलेख वितरण सेवा।
4. अनुक्रमणीकरण एवं सारकरण सेवा।
5. संदर्भ, अनुवाद, रेफरल, प्रतिलिपीकरण इत्यादि सेवा।
ई-सूचना स्त्रोतों के प्रकार:- पुस्तकालयों में विभिन्न प्रकार के ई-सूचना स्त्रोत भी उपलब्ध रहते है जो निम्न इस प्रकार से हैः-
1. ई-पुस्तकें:- ई-पुस्तकें वह होते जो कागज के बजाए इलेक्ट्रॉनिक स्वरूपों में होती है। जिन्हें पाठक अपने लैपटॉप, मोबाईल, टेबलेट, एवं कम्प्यूटर इत्यादि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों पर पढ़ा जा सकता है।
2. ई-मैग्जीन:- प्रायः पाठको को ई-मैग्जीन के बारे में पता नहीं रहती है परंतु जब उन्हें विद्यालय, महाविद्यालय, विष्वविद्यालय के विषय में उन्हें जानकारी मिली है तो पुस्तकालयों में भौतिक एवं इलेक्ट्रॉनिक दोनों स्वरूपोेेें मंे मैग्जीन उपलब्ध रहते है।
3. ई-समाचार पत्र-पत्रिकाएं:- दैनिक समाचार पत्र-पत्रिकाएं तथा साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएं भारत में शिक्षा तथा निरक्षता का ब्यौरा रहता है। ई-पत्र- पत्रिकाओं से सम्प्रेषण तथा समाचार की प्रक्रिया होती है।
4. षैक्षणिक सी.डी. एवं डी.वी.डी.:- षैक्षणिक पुस्तकालयों में सी.डी. एवं डी.वी.डी. के स्वरूपों में भी ई-सूचना को संग्रहित करके रखा जाता है। ये सभी एक ऑप्टिकल डिस्क के संस्करण है। इसमें डेटा विषेष रूप से प्रकाष का उपयोग करके पुनः प्राप्त किया जाता है।
5. लघु षोध एवं षोध प्रबंध:- यह वह होते है जो किसी षोधार्थी द्वारा किये गये षोध को विधिवत प्रस्तुत करता है। इसी के आधार पर ही षोधार्थी को व्यवसायिक प्रमाण पत्र दिया जाता है।
आधुनिक युग के माँग:- ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं पुस्तकालयों में आज के आधुनिक युग में पाठकों की माँग है। जो दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे है क्योकि ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं वर्तमान अत्यधिक प्रचलन में है। आधुनिक तकनीकी का प्रचलन एवं समय व श्रम की बचत ने ई-सूचना स्त्रोता एवं सेवाएं के बढ़ते उपयोग, प्रभाव एवं महत्व को और अत्यधिक मात्रा में बढ़ा दिया है। ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं आगे भविष्य में भी अपार उपयोग देखने को मिलेगा। पुस्तकालयों में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के नवीन ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं बढ़ते उपयोग का प्रमुख है। इन्ही सभी कारणों से आधुनिक युग में ई-सूचना स्त्रोतों का उपयोग में दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे है।
ई-पुस्तकालय:- पुस्तकालय एक सामाजिक संस्था है, पुस्तकालय किसी राष्ट्र के सुषिक्षित समाज और षिक्षा के बीच का एक महत्वपूर्ण कड़ी होता है। सूचना व्यापक प्रौद्योगिकी के क्रमिक विकास के साथ पुस्तकालय के क्रिया-कलापों में भी व्यापक परिवर्तन आया है। जिसमें पुस्तकालय सेवाओं के क्षेत्र में जैसे पाठकों की सूचना खोज प्रवृत्ति, ई-सूचना स्त्रोतों के प्रकार, स्वचालन सूचना प्राप्ति के माध्यम इत्यादि क्षेत्रों में व्यापक प्रसार हुआ है।
ई-पुस्तकालय का अर्थ एक ऐसी पुस्तकालय से है, जहाँ पर ई-सूचना स्त्रोत एवं अध्ययन सामाग्री एक्सेस की जाती है। इस प्रकार के पुस्तकालय में हम इन्टरनेट के माध्यम से हम देष के कही भी किसी भी कोने में बैठकर 24 घण्टंें 365 दिन ई-सूचना स्त्रोत प्राप्त कर सकते है। इसे ही ई-पुस्तकालय कहते है। ई-पुस्तकालयों में सभी प्रकार के पाठय-सामाग्री, अध्ययन सामाग्री, विभिन्न प्रकार के ई-सूचना स्त्रोत एक इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में उपलब्ध होते है। जिससे पाठकों को अपनी आवष्यकता की जानकारी शीघ्रता पूर्वक प्रापत हो जाती है।
सूचना संचार प्रौद्योगिकी और पुस्तकालय स्वचालन:-
आधुनिक पुस्तकालयों में कम्प्यूटर, सूचना संचार की नवीनतम् तकनीकियों एवं इन्टरनेट की सुविधाओं का उपयोग किया जा रहा है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने वर्तमान में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। पुस्तकालय स्वचालन भी इससे अछूता नही रहा हैं, जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभाव से पुस्तकालय की विभिन्न प्रक्रियाएं जैसेः- वर्गीकरण, सूचीकरण, पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार के कार्यो एवं सेवाएं पुस्तकालय स्वचालन के माध्यम से कम्प्यूटरीकृत हो गया है। भारत में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई तरक्की से देष के ई-सूचना स्त्रोतों, ई-पुस्तकालय एवं सेवाओं ई-माध्यम तथा प्रभाव तेजी से विस्तार हो रहा है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का प्रभाव जब से पुस्तकालयों पर पड़ा है, तभी से पुस्तकालयों का स्वरूप ही बदल कर रख दिया है। जिससे पुस्तकालयों के कार्यो, सेवाओं, मांग, उपयोगिता में अपार वृद्धि हुआ है।
निष्कर्षः-
इस प्रकार संक्षेप में कहा जा सकता है कि ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाओं का बढ़ते उपयोग के पीछे का कारण आधुनिक तकनीकी के प्रचलन एवं समय व श्रम की बचत को ही पाठक मानते है। पुस्तकालयों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के प्रभाव ने पुस्तकालयों के कार्यो एवं सेवाएं को काफी प्रभावित किया है। जिसका उदद्ेष्य पाठको को उनके मनोवांछित ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं त्वरित समय प्रदान किया जा सकें।
संदर्भ ग्रंथसूचीः-
1- शर्मा ए. के. (2012) “र्इ्र-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं“ एस. एस. पब्लिकेषन नर्इ्र दिल्ली पेज नं. 218-222
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3- रावत दिव्या सिंह एवं कौषिक, पूर्णिमा (2010)“ग्रंथालयों में ई-संसाधनों का महत्व“ ग्रंथालय विज्ञान 41
4- तिलवानी टी. डी. एवं शर्मा ए. के (2006) “डिजिटल ग्रंथालय एक नवीन युग“ ग्रंथालय विज्ञान पेज 260-67
5- अहिरवार विनोद कुमार (2018) “ई-सूचना स्त्रोतों के उपयोग में कृषि विष्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्षों की भूमिका: रिमार्किंग एन एनालिस्ट्रेन पत्रिका पेज 296-216-2023
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Received on 20.07.2023 Modified on 12.08.2023 Accepted on 30.08.2023 © A&V Publication all right reserved Int. J. Ad. Social Sciences. 2023; 11(3):185-187. DOI: 10.52711/2454-2679.2023.00028 |